Monday, July 6, 2009

...जो तुमने दिया


हां याद आती है तुम्हारी;
जब कोई पूछता है, पीठ पर ये निशान कैसे हैं?
जब कोई पूछे वजह मेरी खामोशी की
उस वक्त तुम्हें भुला देना नामुमकिन होता है,
जब कोई बात करता है... दुख की, दर्द की...

औएर सबसे ज्यादा तुम्हें याद करती हूं तब...
जब मेरी बेटी हंसती है, मुस्कुराती है...
क्योंकि;
तुमने ही तो दिया है ये सब...
...ये निशान,
...ये खामोशी,
... और मेरी बेटी

3 comments:

  1. हाँ आपकी कविताये कहती है बहुत कुछ जो चाहे ना हों आपके बारे में ...

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  2. हाँ आपकी कविताये कहती है बहुत कुछ जो चाहे ना हों आपके बारे में ...

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  3. oye ye kab likhi tune or ab lag rha hai ki u were right nice one...

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